शीघ्र आने वाला है सतयुग: अद्भुत होंगे घर – बनेंगे विचित्र प्रक्रिया से

Written by satyug.in

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सतयुग, शीघ्र ही फिर से आने वाला है। बहुत सी भविष्यवाणियों के अनुसार 2019 से 2032 तक का समय युग के परिवर्तन का समय है। इसे संधिकाल भी कहा जा रहा है। शीघ्र ही जब सतयुग का आरम्भ होगा तो विश्व में बहुत कुछ बदल जायेगा।

सतयुग को धर्म और सत्य का युग माना जाता है। जब एक बार फिर से सतयुग आएगा तो वो एक ऐसा काल होगा जहाँ मानवता का मूल्य एक बार फिर से बढ़ जायेगा। आध्यात्मिक भी अपने चरम पर पहुँच जाएगी।

इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि जब सतयुग फिर से शुरू होगा तो उस समय के घर कैसे होंगे। इस युग में निर्मित घरों को वास्तुशास्त्र और स्थापत्य वेद के गहन सिद्धांतों के अनुसार बनाया जायेगा। ये घर प्राकृतिक नियमों के साथ सामंजस्य बनाकर रखेंगे। इस लेख में हम उन घरों की विशेषताओं को आपके सामने रखेंगे और साथ ही उनके निर्माण के पीछे के दर्शन को समझेंगे। इसके साथ-साथ यह भी जानेंगे कि इन घरों का  उस समय के समाज और उसमें रहने वाले लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

1. स्थापत्य वेद के अनुसार होंगे घर:

स्थापत्य वेद वो ज्ञान है जिसमें भारतीय वास्तुकला की प्राचीन पद्धति का वर्णन है। ये निर्माण और डिजाइन के सिद्धांतों पर आधारित है। यह शास्त्र न केवल भौतिक संरचना को महत्व देता है, बल्कि ऊर्जा के प्रवाह और संतुलन को भी समान रूप से महत्वपूर्ण मानता है। यदि एक घर को स्थापत्य वेद के अनुसार बनाया जाए, तो इसके विभिन्न प्रभाव हो सकते हैं:

2. इन घरों का समाज पर प्रभाव:

स्थापत्य वेद के अनुसार बनाये जाने वाले घर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। ये घर न केवल देखने में अति सूंदर होंगे, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी प्रोत्साहित करेंगे।

घर में रहने वालों पर प्रभाव:

वास्तु शास्त्र एवं स्थापत्य वेद के अनुसार बने इन घरों में रहने वाले लोगों को शांति और सुखद अनुभव होगा। उनके विचारों और कर्मों में नकारात्मकता समाप्त हो जाएगी। उन घरों में बहने वाली शुभ ऊर्जा के कारण घर में रहने वालों को सुख, शांति, स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि प्राप्त होगी। 

इन घरों का वातावरण पर प्रभाव:

स्थापत्य वेद के अनुसार बनाये जाने वाले ये घर प्रकृति की ऊर्जा के साथ सामंजस्य बनाकर रखेंगे और वातावरण को भी  संतुलित और स्वस्थ बनाएंगे। इस कारण से प्राकृतिक आपदाओं में भी कमी आएगी, और ये घर इस तरह की प्रकृतिक समस्यायों में घर में रहने वालों को सुरक्षा भी प्रदान करेंगे। 

घर में रहने वालों पर आर्थिक प्रभाव:

वास्तुशास्त्र एवं स्थापत्य वेद के अनुसार बने घर आर्थिक रूप से भी लाभदायक होंगे। घर के सदस्य अपना कार्य शुभ ऊर्जा एवं शुभ इच्छा से करेंगे इसलिए घरों में रहने वालों को आर्थिक लाभ भी अधिक होगा। घर में संतुलित रूप से बहने वाली शुभ ऊर्जा के कारण घर के सदस्यों की आय एवं व्यय में भी संतुलन बना रहेगा। उनकी आय उनके व्यय से सदैव अधिक ही रहेगी।  

मानसिक और भावनात्मक प्रभाव:

सतयुग में बनने वाले इन घरों में रहने वालों का मानसिक और भावनात्मक संतुलन बेहतर होगा। जिससे उनकी उत्पादकता और सृजनात्मकता में वृद्धि हो सकती है। इसी कारण से घर में रहने वाले लोगों के आपसी सम्बन्ध भी मधुर रहेंगे। घर के सदस्य सदैव मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।

आध्यात्मिक प्रभाव:

सतयुग में बने ये घर आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अनुकूल होंगे। घर में ध्यान और पूजा के लिए विशेष एवं उचित स्थान होने के कारण यहाँ की गई पूजा एवं ध्यान अधिक शुभ फल देगी। घरों के शांत और सकारात्मक वातावरण के कारण घर के सदस्य, शांत चित्त वाले एवं आध्यात्मिक स्वाभाव के हो जाएंगे। 

सतयुग के घरों का पर्यावरण पर प्रभाव:

सतयुग में स्थापत्य वेद के अनुसार बनाए जाने वाले इन घरों में एक विशेषता पर्यावरण के अनुकूल होगी। ये सभी घर प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हुए निर्मित होंगे। इससे जल, ऊर्जा और अन्य संसाधनों की काफी बचत होगी और पर्यावरण पर कम बोझ पड़ेगा। 

सामुदायिक प्रभाव:

सतयुग में स्थापत्य वेद के अनुसार बनाये जाने वाले इन घरों की बनावट के कारण ये घर सामुदायिक भावना को बढ़ावा देंगे। लोग आपस में मिलजुल कर रहेंगे। आसपास के घरों की शुभ ऊर्जा भी संतुलित एवं एक दूसरे पर शुभ प्रभाव डालने वाली होगी। इसलिए इन घरों में रहने वाले लोग भी आपस में सुख शांति से रहेंगे। ये घर अक्सर खुले हुए होंगे और सांझे स्थानों को महत्व देंगे। जिससे पड़ोसियों के बीच संवाद और सहयोग भी बढ़ेगा, जिससे समुदायों में आपसी सहयोग और प्रेम बढ़ेगा। 

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

सतयुग में सभी घर स्थापत्य वेद एवं वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाये जाएंगे। इन घरों का वातावरण स्वास्थ्य घर में रहने वालों को स्वस्थ्य प्रदान करने वाला होगा। इन घरों में सूर्य की रौशनी, प्राकृतिक प्रकाश और वायु का उचित संचार होगा। जिससे इन घरों में रहने वालों का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।

शैक्षिक प्रभाव:

सतयुग के इन स्थापत्य वेद के अनुसार बने ये घर शैक्षिक उद्देश्यों के लिए भी अनुकूल होंगे। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इन घरों में अध्ययन के लिए शांत और प्रेरणादायक स्थान होंगे। इससे बच्चों और बड़ों दोनों को शिक्षा में सहायता मिलेगी। 

सतयुग के घरों में ऊर्जा संरक्षण:

सतयुग के इन घरों में जो स्थापत्य वेद और वास्तुशास्त्र के अनुसार बने होंगे, उनमें ऊर्जा की बचत भी होगी। इन घरों में ऊर्जा-कुशल उपकरणों और निर्माण सामग्री का उपयोग होता है, जिससे बिजली और पानी की खपत कम होती है। इन घरों के निर्माण के साथ साथ घरों के बनने के बाद भी इनमें ऊर्जा कम खर्च होगी।

सतयुग के घरों का सांस्कृतिक प्रभाव:

स्थापत्य वेद के अनुसार बने इन घरों में एक गुण ये भी होगा कि ये घर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को दर्शाएंगे। ये घर ऐसे होंगे कि सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करने और उसे संजो कर रखने का भी एक माध्यम बनेंगे।

परिवार होंगे आत्मनिर्भरता:

सतयुग में सभी घर स्थापत्य वेद के अनुसार बनाये जाएंगे। इन घरों का वातावरण, बनावट और घरों के बीच की ऊर्जा ऐसी होगी कि घरों में रहने वाले लोग आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इन घरों में खाद्य उत्पादन, जल संचयन और ऊर्जा उत्पादन जैसी सुविधाएँ होंगी। 

अब आप सभी यह अनुमान लगा सकते हैं कि सतयुग के घर कैसे होंगे? स्थापत्य वेद एवं वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाये जाने वाले इन सभी घरों के प्रभाव कैसे होंगे? स्थापत्य वेद के अनुसार घर का निर्माण न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी लाभदायक होगा। यह एक संपूर्ण, स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली की ओर ले जायेगा। 

निष्कर्ष:

सतयुग के घरों का अध्ययन करने से हमें यह समझ में आता है कि निर्माण कला केवल भौतिक संरचनाओं का निर्माण नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली, एक संस्कृति और एक दर्शन का प्रतिबिंब है। वास्तुशास्त्र और स्थापत्य वेद के अनुसार बने ये घर न केवल उस समय के लोगों के लिए आश्रय स्थल थे, बल्कि उनके आध्यात्मिक और भौतिक कल्याण के लिए भी अनुकूल थे। इन घरों के निर्माण से जुड़े सिद्धांत आज भी हमें प्रेरित करते हैं और हमारे समकालीन निर्माण प्रथाओं में भी उपयोगी हो सकते हैं। अंततः, सतयुग के घर हमें यह सिखाते हैं कि हमारे आवास और वातावरण के साथ हमारा संबंध कितना महत्वपूर्ण है और कैसे यह हमारे समग्र कल्याण को प्रभावित करता है।

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